
अगर आप भी सोचते हैं कि ब्रांडेड रेस्टोरेंट में खाना मतलब ‘हाइजीन विद हैप्पीनेस’, तो थोड़ा रुकिए, सोचिए… और अगली बार ऑर्डर देने से पहले दो बार सोचिए।
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नवाबी शहर लखनऊ में 12 नामचीन रेस्टोरेंट्स के 36 खाद्य सैंपल फूड सेफ्टी जांच में फेल हो गए हैं। और मामला सिर्फ नमक-मिर्च का नहीं है, बल्कि सीधा सेहत से खिलवाड़ का है। आइए देखते हैं इस ‘फूड फ्रॉड फुल थाली’ में क्या-क्या परोसा गया—
केएफसी, सहारागंज
डिश फ्राई की जा रही थी पुराने तेल में। चिकन का क्रिस्प तो था, पर सेहत के लिए रिस्क भी था। नोटिस भेजा गया।
McDonald’s, हज़रतगंज
फ्राइड डिशेस में पाया गया सिंथेटिक रंग। कौन कहता है “I’m lovin’ it”? अब तो लग रहा – “I’m leaving it!”
दस्तरख़्वान, हज़रतगंज
बासी मटन और बदबूदार ग्रेवी का मामला गंभीर निकला। “जायके का बादशाह” अब सील की गई दुकान बना बैठा है।
Pizza Hut
सॉस में मिली गैर-खाद्य ग्रेड सामग्री। मतलब जो सॉस ज़बान पर ज़िंदाबाद कहता था, पेट में गड़बड़ का इन्कलाब ला सकता है।
Burger King
मेयोनीज़ में बैक्टीरिया की मौजूदगी। “Have it your way”? अब शायद “Throw it away” ज़्यादा सही है।
Domino’s
एक्सपायरी डेट पर नया स्टीकर चिपकाया गया। यानी ‘30 मिनट में पिज़्ज़ा’ नहीं, 30 दिन पुराना धोखा!
छप्पन भोग
मावा में मिलावट की पुष्टि, जांच अभी जारी। ‘स्वाद की सौगात’ के नाम पर स्वास्थ्य की सौगात मिल रही है।
Haldiram’s
नमकीन में घटिया तेल का इस्तेमाल। चेतावनी दी गई – लेकिन सवाल ये है कि “विश्वास क्या अब भी नमकीन है?”
Wow Momo
मोमोज़ बनाने के पानी से बदबू। Wow से अब सिर्फ ‘Owww’ निकल रहा है। नोटिस थमाया गया।
जब बड़े ब्रांड तक ‘फूड फाउल’ खेल रहे हैं, तो गलियों के छोले-भटूरे वालों को दोषी ठहराने से पहले दो बार सोचिए।
प्रशासन की भूमिका:
फूड सेफ्टी विभाग ने सैंपल फेल होने वाले संस्थानों को नोटिस दिए हैं, और कुछ को सील भी किया गया है। पर क्या आने वाले दिनों में सख़्त कार्रवाई होगी या फिर ये भी ‘बासी’ बनकर फाइलों में दब जाएगी?
लखनऊ में अब खाना ऑर्डर करने से पहले मेन्यू नहीं, फूड सेफ्टी रिपोर्ट पढ़िए। क्योंकि अब सवाल स्वाद का नहीं, सेहत और सच का है!
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